Sunday, September 8, 2019

हम भी है सीवान

हारे हैं हम भी बार बार
रोएं हैं दिल हार ज़ार ज़ार
हिम्मत हमको भी बंधा दो ना
हमको भी गले लगा लो ना

मेहनत हम भी तो करते हैं
खेती मजदूरी कर दम भरते हैं
बारिश कहीं पे आती नहीं
और कहीं बाढ़ में हम मरते हैं

घबराहट हमको भी होती है
जब परेशानी नहीं झिलती है
मायूसी से नम आंखें रोती हैं
हमको भी ढाढस बंधा दो ना

हिम्मत ना हारेंगे हम भी कभी
पिता समान तुम हो जो खड़े
उम्मीदें तुमसे ही बांधी हैं
हमको भी तो पहचानो ना

गली गली और शहर शहर
कर देंगे स्वच्छ और सुंदर
सपनों का भारत बनाएंगे
हम भी चांद पर जाएंगे

करके तो देखो विश्वास हम पर
कर्तव्य पथ पर चलके हम भी
भारत को कर देंगे उज्वल उज्वल
सोने की चिड़िया फिर से कहाएंगे

- डॉ चीनू अग्रवाल (मुक्ति)

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